आज-कल कंजंक्टिवाइटिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गुलाबी आंख या आई फ्लू को वैज्ञानिक रूप से नेत्रश्लेष्मलाशोथ/कंजंक्टिवाइटिस के रूप में जाना जाता है, यह आंख के सबसे बाहरी आवरण कंजंक्टिवा में सूजन के कारण होता है। कंजंक्टिवाइटिस तीन प्रकार के होते हैं: वायरल कंजंक्टिवाइटिस, बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस और एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस।
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लक्षण-
- भीतरी पलकों और आंख के सफेद भाग में लालिमा।
- आंख से पानी जैसा या श्लेष्मा(मवाद) जैसा स्राव होना।
- खुजली या किरकिरापन (आंख में रेत जैसी किसी बाहरी चीज का अहसास होना)।
- सूजी हुई पलकें।
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि।
- आँखों की क्षमता कम होना।
कारण-
1. वायरल कंजंक्टिवाइटिस:
वायरल कंजंक्टिवाइटिस मुख्य रूप से वायरस के कारण होता है जो सामान्य सर्दी का कारण भी बनता है। यह अत्यधिक संक्रामक है और आंखों से निकलने वाले स्राव के सीधे संपर्क से आसानी से फैल सकता है। यह एक साथ बैठने या बातचीत करने से नहीं फैलता है।
2. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस:
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस जीवाणु संक्रमण के कारण होता है और इसकी विशेषता है कि आंखों से पीले या हरे रंग जैसा स्राव होता है। यह संक्रामक भी हो सकता है और आमतौर पर हाथ के आँख के संपर्क में आने से फैलता है।
3. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस:
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस धुआं, प्रदूषण, धूल, जानवरों के बाल, पराग या कुछ रसायनों जैसे पदार्थो से जनित एलर्जी के कारण होता है। यह संक्रामक नहीं है और आम तौर पर दोनों आँखों को प्रभावित करता है।
निवारण-
- अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोएं, खासकर अपनी आंखों को छूने के बाद।
- चश्में का प्रयोग करें।
- तौलिए, तकिए आदि जैसे निजी सामान किसी के साथ साझा न करें।
- आंखों से निकलने वाले स्राव को साफ कपड़े या टिश्यू पेपर से साफ करें।
- कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से बचें और अपने चश्मे को बार-बार कीटाणुरहित करते रहे।
- संक्रमित आंखों के लिए उपयोग की जाने वाली आई ड्रॉप का उपयोग स्वस्थ आंखों के लिए न करें।
- स्क्रीन पर अत्यधिक टाइम देने से बचें।
- जलन और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपनी आँखों को छूने या रगड़ने से बचें।
इलाज-
अगर आपको कंजंक्टिवाइटिस है तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर एंटीबायोटिक्स की सलाह देंगे। डॉक्टर द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करें। दवाइयों के विपरीत प्रयोग से बचें।
निष्कर्ष-
कंजंक्टिवाइटिस एक अस्थायी स्थिति है। जरूरी सावधानियां और उचित इलाज अपनाकर हम अपनी आंखों की सुरक्षा कर सकते हैं। इसके ठीक होने में 2 दिन से 1 महीने तक का समय लग सकता है।