सूरत डायमंड बोर्स यू.एस.ए. के पेंटागन से भी बड़ी दुनिया की सबसे बड़ी कार्यालय इमारत है। इस हीरा व्यापार केंद्र की आधारशिला 2015 में गुजरात की तत्कालीन सीएम आनंदीबेन पटेल ने रखी थी लेकिन कुछ साल बाद कोविड-19 के कारण इस प्रोजेक्ट की गति धीमी हो गई और पूरा प्रोजेक्ट 2022 में पूरा हो पाया। इस परियोजना की लागत लगभग ₹3000 करोड़ है और इसे आर्किटेक्चर फर्म मॉर्फोजेनेसिस के संस्थापक भागीदार मनित रस्तोगी द्वारा डिजाइन किया गया है।

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सूरत डायमंड बोर्स एक गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) है, जिसे 2010 में स्थापित कंपनी सूरत डायमंड बोर्स द्वारा प्रचारित किया गया है। वल्लभभाई पटेल इसके वर्तमान अध्यक्ष हैं।

यह इमारत गुजरात के सूरत के बाहरी इलाके में स्थित है। यह डायमंड रिसर्च एंड मर्केंटाइल सिटी (ड्रीम सिटी) का एक हिस्सा है, जोकि सूरत में एक आगामी व्यापारिक जिला है। यह सिटी गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी और अहमदाबाद के पास धोलेरा स्मार्ट सिटी की तर्ज पर खजोद के पास बनाया जाएगा।

वर्तमान में, हीरों को सूरत में पॉलिश किया जाता है और भारत डायमंड बोर्स, मुंबई में लाकर इनका कारोबार किया जाता है, जो सूरत से लगभग 5 घंटे की दूरी पर है। एसडीबी हीरा व्यापारियों को समय बचाने वाली कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

इमारत की मुख्य बातें-

  1. यह 6.6 मिलियन वर्ग फीट में फैला हुआ है।
  2. इसमें 4200 से भी अधिक हीरा व्यापार-कार्यालय हैं।
  3. इसमें 9 प्रतिष्ठित टावर हैं जिनमें से प्रत्येक में G+15 मंजिल हैं।
  4. इसमें 3 मीटर/सेकेंड गति वाली 131 लिफ्टें हैं।
  5. ‘पंचतंत्र’ भूदृश्य वाली प्लैटिनम-रेटेड हरित इमारत है।
  6. पूरी बिल्डिंग में कुल 22 किलोमीटर का मार्ग है।
  7. इसमें 7754 खिड़कियाँ हैं।
  8. उच्च सुरक्षा के लिए 4000 से भी अधिक सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध हैं।

नवंबर 2023 में पीएम मोदी के भवन का उद्घाटन करने की उम्मीद है और उम्मीद है कि सूरत डायमंड बोर्स लगभग 1.5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगा।

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